जैसे बारिश का पानी धीरे धीरे मिटटी में घुले,
लाल सूरज डूबते हुए धरती से मिले,
पुरवाई हवा से नीम का पेड़ हिले,
कांटो के बीच कोई गुलाब खिले,
जब बढ़ जायें तेरे मेरे दरम्यान गिले
दुबारी के कोनों में तेरी मेरी सांस घुले
लाल सूरज डूबते हुए धरती से मिले,
पुरवाई हवा से नीम का पेड़ हिले,
कांटो के बीच कोई गुलाब खिले,
जब बढ़ जायें तेरे मेरे दरम्यान गिले
दुबारी के कोनों में तेरी मेरी सांस घुले
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