भीड़ में अपनी जगह बनता एक सामान्य आदमी, भीड़ में हस्तक्षेप करती एक आवाज़, मेरा हस्तक्षेप, महज हस्तक्षेप नहीं समाज की रूड़ीवादिताओं से रूठ जाने की खीज है.
मैं अभिषेक तिवारी, IIT Bombay से स्नातक और परास्नातक, इलाहबाद उत्तर प्रदेश का रहने वाला, माँ और नौकरशाही का धुर समर्थक और "जग भ्रान्ति भरा मैं क्रांति भरा, जग से कैसी समता मेरी" पे चलने वाला
Saturday, November 8, 2014
तुम्हारे नाम के सिवा
क्लास के उस पिछली बेंच पर तुम्हारा नाम लिख कर तोडा करता था मैं अपनी कलम और उमीदों के काफिलो से गुजारिश करता की पास आके तुम कहोगी "Take My Pen" पर उम्मीदे भी मेरी कलम की तरह रोज टूटती रही और मैं कभी कुछ ना लिखपाया तुम्हारे नाम के सिवा
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