अंधकार में जैसे जला हो कोई दीपक
भीड़ में अपनी जगह बनता एक सामान्य आदमी, भीड़ में हस्तक्षेप करती एक आवाज़, मेरा हस्तक्षेप, महज हस्तक्षेप नहीं समाज की रूड़ीवादिताओं से रूठ जाने की खीज है. मैं अभिषेक तिवारी, IIT Bombay से स्नातक और परास्नातक, इलाहबाद उत्तर प्रदेश का रहने वाला, माँ और नौकरशाही का धुर समर्थक और "जग भ्रान्ति भरा मैं क्रांति भरा, जग से कैसी समता मेरी" पे चलने वाला
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